मेरी भागीदारी, मेरी जिम्मेदारी!
मैं रिंकी शर्मा एक गरीबी परिवार से हूं। सरकारी स्कूल में पढ़ी हूं। हम गांव के परिवेश में पले-बढ़े इसलिए बचपन में मेरी मम्मी हमको घर से बाहर नहीं जाने देती थी। मैंने मैट्रिक पहली डिविजन से पास की है। इंटर पास करने के बाद मेरी शादी हो गई और शादी के बाद मैंने बीए में एडमिशन ले लिया।
जब एनईजी-फायर के लोग हमारे स्कूल और गांव आएं तो हम सभी एसएमसी सदस्य के लोग उनसे मिले। उन्होंने हमसे हमारी जिम्मेदारियों के बारे में पूछा तो मैंने बताया कि हम स्कूल आते हैं और रजिस्टर में साइन करके चले जाते हैं।
एनईजी-फायर के आने के बाद हमें पता चला कि हमारी क्या जिम्मेदारी है और हमारे अधिकार क्या हैं। उन्होंने हमें बताया कि स्कूल प्रबंधन समिति की जिम्मेदारी है कि जिन बच्चों का नामांकन नहीं हुआ है उनका नामांकन करवाएं। बच्चों को स्कूल लेकर आएं। साफ-सफाई में ध्यान दें। स्कूल पर ध्यान दें। बच्चों के दोपहर के गुणवत्ता भोजन पर ध्यान दें।
आज हम सभी सदस्य स्कूल समिति की हरेक बैठक में जाते हैं। खुद टीचर से बात करते हैं। उनको बताते हैं कि बच्चों को ऐसे पढ़ाये। उनको अच्छा खाना दें। स्कूल में साफ-सफाई रखिए। स्कूल में पंखा ठीक नहीं है तो उसको ठीक करवाने के लिए कहते हैं। शिक्षा बहुत जरूरी है बच्चों को और उनके माता-पिता को बताते हैं।
हम हमारे गांव-स्कूलों में बदलाव होना शुरू हो गया है। पहले स्कूल में 26 बच्चों का नामांकन था जिसमें से केवल 16 बच्चे ही नियमित स्कूल आते थे। मैं व्यक्तिगत रूप से बच्चों से मिली, उनके माता-पिता से मिली। जिन बच्चों का नामांकन नहीं हुआ था उनका स्कूल में नामांकन करवाया। मैं नियमित स्कूल जाने लगी। बच्चों से, टीचर से मिलने लगी। मैंने यह जिम्मेदारी ली कि कोई भी वंचित समुदाय का बच्चा शिक्षा से वंचित ना रहे।
आज, मुझे अपनी जिम्मेदारियों को निभाने से कोई नहीं रोकता है। यहां तक कि नदी पार करने के कारण कभी-कभी बच्चों को स्कूल जाने में मुश्किल हो जाती है तो मैं बच्चों को नदी पार करवाकर स्कूल लेकर जाती हूं और वापस घर लाने में उनकी मदद करती हूं। मेरी मानना है कि मैं जो यह छोटी भूमिका निभा रही हूं, उसका बच्चों के भविष्य निर्माण में बड़ा प्रभाव पड़ेगा।
श्रीमति रिंकी देवी
अध्यक्षा, स्कूल प्रबंधन समिति
धनरूआ, बिहार
Comments are closed.