भीली भाषा में सामग्री विकास पर कार्यशाला आयोजित
भोपाल। भीली और भिलाला भाषाओं पर शिक्षा विभाग (मध्य प्रदेश) और राज्य शिक्षा केंद्र (भोपाल) ने तीन दिवसीय सामग्री विकास कार्यशाला का आयोजन किया। भारत सरकार के राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण (एनएएस) ने 10 जिलों को शिक्षा में कम प्रदर्शन वाले जिलों (एलपीडी) के रूप में घोषित किया गया है। इसमें मध्य प्रदेश का अलीराजपुर जिला भी है।
राज्य सरकार की प्राथमिकता
मध्य प्रदेश सरकार ने वर्ष 2024 तक अलीराजपुर और झाबुआ जिलों में शैक्षिक प्राथमिकताओं पर अपना ध्यान केंद्रित किया है। अपने अलीराजपुर दौरे के दौरान मुख्यमंत्री ने घोषणा करी थी कि शिक्षा विभाग प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा यानी भीली और भिलाला में पढ़ाए। इसलिए इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में एनजीओ के प्रतिनिधियों के साथ-साथ सभी बीआरसी, सीआरसी, डीपीसी और शिक्षाविदों को आमंत्रित किया गया था।
एनईजी-फायर की भूमिका
एनईजी-फायर, मध्य प्रदेश में पिछले 6 वर्षों से राज्य शिक्षा केन्द्र (आरएसके) के साथ जुड़ा हुआ है। मातृभाषा आधारित बहुभाषी शिक्षा में एनईजी-फायर काफी सामग्री विकसित कर चुका है। सामग्री विकास की प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने के लिए राज्य शिक्षा केन्द्र ने एनईजी-फायर को आमंत्रित किया।
कार्यशाला के मुख्य बिंदु
कार्यशाला में भीली और भिलाला भाषा में शिक्षकों द्धारा एकत्र की गई सामग्री की समीक्षा की गई। सामग्री मूल रूप से हिंदी भाषा की किताब का अनुवाद थी जो बच्चों के संदर्भ से बाहर था, इसलिए समुदाय के सांस्कृतिक संदर्भ के बारे में सोचने के लिए इस पर चर्चा की गई थी।
इस अवसर पर एनईजी-फायर ने समुदाय से सामग्री एकत्र करने के अपने अनुभव को साझा किया। शिक्षकों और आरएसके की टीम ने पांच भाषाओं में सामग्री विकसित करने के लिए एनईजी-फायर के प्रयासों की सराहना भी की।
कार्यशाला में आरएसके, भोपाल के निदेशक श्री धनराजू एस (आईएएस) और संयुक्त निदेशक, आरएसके श्री लोकेश कुमार जांगिड़ ने मातृभाषा आधारित शिक्षा की अवधारणा पर विचार-विमर्श किया।
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