मध्य प्रदेश में ‘स्कूल चलें हम’ अभियान – शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
मध्य प्रदेश में ‘स्कूल चलें हम’ अभियान – शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम का आयोजन
एनईजी–फायर टीम, मध्य प्रदेश
शिक्षा बच्चों का प्राथमिक व मूलभूत अधिकार है। शाला में जब बच्चा पहली बार प्रवेश (दाखिला) लेता है तो उसके लिए वह दिन एक उत्सव से कम नहीं होता है। बच्चों के प्रवेश दिवस को यादगार बनाने के लिए एनईजी-फायर की मध्य प्रदेश टीम ने शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम का सफल आयोजन किया। यह कार्यक्रम मध्य प्रदेश के खंडवा, हरदा और बैतूल जिले के खालवा, टिमरनी और भीमपुर विकासखंड में 27 से 30 जून तक आयोजित किया गया।
‘स्कूल चले अभियान’-प्रवेशोत्सव 2022 की यादगार के रूप में प्रत्येक शाला में एक–एक पौधा रोपण कार्यक्रम में पौधा लगाते।
एनईजी-फायर टीम ने खंडवा, हरदा और बैतूल जिले के खालवा, टिमरनी और भीमपुर विकासखंड के 7 जनशिक्षा केंद्रों में इस कार्यक्रम का सफल आयोजन किया। संस्था द्धारा तीनों विकासखंड के कुल 51 गांवों में कोरकू एवं गोंडी समुदाय के बच्चों के साथ मातृभाषा आधारित बहुभाषीय शिक्षा एवं समावेशी शिक्षा पर काम किया जा रहा है।
मध्य प्रदेश में एनईजी-फायर आदिवासी क्षेत्रों में शिक्षा पर कार्य कर रही है। संस्था का उद्देश्य है कि आदिवासी बच्चे शिक्षा से वंचित न रहें, उनकी शाला में नियमितता एवं शिक्षा का जुड़ाव बना रहे तथा उनकी मातृभाषा के जरिए शिक्षण कार्य किया जाए जिससे बच्चे रूचि लेकर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ग्रहण कर सकें। इसी को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश में संस्था द्धारा ‘स्कूल चलो अभियान’ चलाया जा रहा है । बच्चों को स्कूल जाने के लिए एवं शाला में सतत नियमितता एवं रूचि रखने हेतु शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं।
‘स्कूल चले अभियान’-प्रवेशोत्सव 2022 के एक कार्यक्रम की फोटो।
इसके साथ ही संस्था द्धारा उक्त जिलों में प्राथमिक शालाओं में 55 ट्रेजर हाउस (खजाना घर) और घर पर शिक्षा का कोना के माध्यम से 3 से 10 वर्ष के बच्चों को पढ़ाने का काम किया जा रहा है।
‘स्कूल चले अभियान’-प्रवेशोत्सव 2022 के एक कार्यक्रम में बच्चों से फीता कटवाते हुए।
तीनों जिलों की कुल 55 शालाओं के शिक्षकों के सहयोग से शालाओं में ही ‘स्कूल चलें अभियान’-शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम का सफल आयोजन हुआ। मध्य प्रदेश में पंचायत चुनाव की व्यस्तता के बावजूद भी यह कार्यक्रम सफल रहा। कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए एक सप्ताह पहले से ही घर-घर संपर्क कर अभिभावकों को बच्चों को शाला प्रवेशोत्सव कार्यक्रम और शाला में सतत भेजने के लिए प्रेरित किया गया। शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों ने भी अभिभावकों और बच्चों को प्रेरित करने के लिए अपना सहयोग दिया। शाला प्रबंधन समिति के सदस्यों ने घर-घर जाकर अभिभावकों को समझाया कि स्कूल ही एक मात्र ऐसी जगह है जहां बच्चे सामूहिक रूप से जुड़कर एक साथ सीखने और सिखाने की गतिविधियों का आनंद ले सकते हैं। स्कूल में बच्चों को एक-दूसरे से सीखने का मौका मिलता है। प्राथमिक शाला की कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों के घर संपर्क किया गया तथा विशेष रूप से कक्षा पहली में प्रवेश करने वाले बच्चों पर फोकस किया गया। इसके साथ ही कार्यक्रम की जानकारी जनशिक्षा केंद्र, जनपद शिक्षा केंद्र, जिला शिक्षा केंद्र और जिला शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थान के प्रमुख अधिकारियों को दी गई थी और उनका भी बढ़-चढ़कर सहयोग रहा।
इस कार्यक्रम की शुरूआत नामांकित नए बच्चों का चन्दन-तिलक लगाकर स्वागत से किया गया। बच्चों को टोपी पहनाई गई, शाला में सतत आने एवं प्रेरित करने हेतु सीखने-सिखाने की गतिविधियां की गई। ‘स्कूल चले अभियान’-प्रवेशोत्सव 2022 की यादगार के रूप में प्रत्येक शाला में एक-एक पौधा रोपण कार्यक्रम भी रखा गया। कार्यक्रम 55 प्राथमिक शालाओं के शिक्षकों, स्वयंसेवकों और अभिभावकों की उपस्थिति में संपन्न किया गया।
खालवा, टिमरनी और भीमपुर विकासखंड में संस्था द्धारा चलाएं गए साप्ताहिक प्रवेशोत्सव के दौरान कुल 514 नवप्रवेशी बच्चों का कक्षा पहली में नामांकन किया। कार्यक्रम के दौरान 51 गांवों की 55 शालाओं में कक्षा 1 से 5 तक के कुल 2183 बच्चे उपस्थित थे।
प्रवेशोत्सव कार्यक्रम के ये हैं मुख्य उद्देश्य:-
- गांव में 6-14 आयु के सभी बच्चों का चिन्हीकरण करना।
- नामांकन के दौरान आने वाली दिक्कतों को समझना।
- जो बच्चे किसी कारणवश स्कूल नहीं आ रहे उन्हें उनकी आयु के अनुसार की कक्षा में दाखिला करवाने हेतु शाला प्रबंधन समिति के माध्यम से पहल करवाना।
- बच्चों को शाला में प्रवेश दिलाने के लिए पालकों को प्रोत्साहित करना, उन्हें शाला में जाकर बच्चों की शिक्षा में सहयोग करने के लिए प्रेरित करना।
- बालिकाओं का अधिक से अधिक नामांकन करना, कोई भी बच्चा स्कूली शिक्षा से वंचित ना रहे और दाखिला लेने से न रह जाए।
कार्यक्रम की खास बातें–
- बच्चों में शाला आने को लेकर अलग ही उमंग और उत्साह था।
- नये बच्चों के साथ जुड़ाव हुआ, उनको चिन्हित कर शाला उपस्थिति रजिस्टर में नाम दर्ज किया।
- अभिभावकों के साथ जुड़ाव हुआ। कोविड-19 से पहले की स्थिति से अब बच्चों के शाला जाने की खुशी माता-पिता और समुदाय में देखने को मिली।
- नए नामांकित बच्चे बड़े बच्चों के साथ घुल-मिल गये। नये बच्चों में डर और झिझक दूर हुई।
- बड़े बच्चों के साथ रोजाना स्कूल जाने का माहौल बना।
- बच्चों के साथ अभिभावक एवं समुदाय के लोगों का स्कूल से जुड़ाव बना।
- अभिभावक, समुदाय, स्थानीय सामुदायिक संगठन के सदस्य, स्वयंसेवक, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता, आशा दीदी एवं शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी बनी।
प्रस्तुतकर्ता- विनेश मेश्राम
संपादन- प्रमोद पंत
टीम सहयोग- सुंदरलाल दर्शिमा, रेखा कास्डे, सरस्वती सिलाले, सलिता कलमे, सरिता अटूट, कैलाश कलमे, ब्रजलाल काजले, बबिता प्रधान, राजेंद्र कलम, राजू पालवी, गोलू टांडीलकर, अर्जुन कलमे, राजेंद्र मोहन, निलेश कलम, मल्कू बारस्कर, हरीश साहू, विजेश इरपाचे, आशा धुर्वे, कावेरी सिमैया, हरगोविंद पालवी
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